इसका बीजवपन आज से 99 वर्ष पूर्व सन् 1923 ई0 में राजा बहादुर मेजर राजा दुर्गा नारायण सिंह जूदेव द्वारा अपनी स्वर्गवासी
धर्मपत्नी रानी आदित्य कुमारी जी की पुण्य स्मृति में ' आदित्य कुमारी क्षत्रिय हाईस्कूल, तिर्वा ' के रूप में हुआ था । इस संस्था को
सन् 1946 ई0 में इण्टरमीडिएट स्तर की मान्यता प्राप्त हुई और संस्था का नया नाम “आदित्य कुमारी क्षत्रिय हाईस्कूल एवं
डी0एन0 इण्टर कॉलेज, तिर्वा ' हो गया | इस नवीन नामकरण का कारण यह था कि 24 सितम्बर, 1944 ई0 को मेजर राजा
दुर्गा नारायण सिंह जी का भी स्वर्गवास हो गया था । तत्पश्चात उनके सुपुत्र राजा शारदा नारायण सिंह जी के संरक्षण में प्रगति
के सोपान चढ़ता हुआ 1958 ई0 में दुर्गा नारायण महाविद्यालय, तिर्वा की स्थापना हुई । तत्कालीन शैक्षिक परिस्थितियों को
दृष्टिगत रखते हुए जनपद मुख्यालय फतेहगढ़ में गंगा जी के दाहिने तट पर स्थित सुरम्य पर्यावरण युक्त भूमि को क्रय करके
संस्था को फतेहगढ़ स्थानान्तरित कर दिया गया । इस संस्था को जनपद फर्रूखाबाद का प्रथम महाविद्यालय होने का गौरव प्राप्त
है | तब से लेकर आज तक (1923 से 2022-23) संस्था स्थापना का शताब्दी वर्ष में ज्ञान का प्रकाश विकीर्ण करने का
गरिमामय कार्य संस्था द्वारा किया जा रहा है|
महाविद्यालय का प्रथम शिक्षक एवं शिक्षणेत्तर मण्डल ने फतेहगढ़ मुख्यालय पर 21 अक्टूबर 1960 ई0 को शिक्षण
कार्य प्रारम्भ किया था | अत: उक्त तिथि को “स्थापना दिवस के रूप में स्वीकार किया गया ।
महाविद्यालय के श्रद्धेय संस्थापक शिक्षक एवं शिक्षणेत्तर कर्मचारीगण निम्नवत् थे - डॉ0 उमराव सिंह (प्राचार्य ), श्री
वाई0पी0 श्रीवास्तव (उप-प्राचार्य एवं प्राध्यापक-भूगोल), श्री सत्यदेव सिंह (प्राध्यापक-अंग्रेजी), श्री हरिश्चन्द्र राय
(प्राध्यापक-हिन्दी ), श्री धीरेन्द्र कुमार मिश्र (प्राध्यापक-राजनीति विज्ञान) तथा श्री छविनाथ पाण्डेय (प्राध्यापक-इतिहास ) ।
इस महाविद्यालय को आगरा विश्वविद्यालय द्वारा स्थापना वर्ष में कला एवं वाणिज्य स्नातक कक्षाओं की मान्यता प्रदान
की गई थी | सन् 1967 से यह महाविद्यालय कानपुर विश्वविद्यालय से सम्बद्ध है जिसका वर्तमान नाम छत्रपति श्री शाहू जी
महाराज कानपुर विश्वविद्यालय है | फतेहगढ़ आने पर महाविद्यालय का प्रारम्भिक स्टाफ था - डॉ0 उमराव सिंह (प्राचार्य ), श्री
वाई0पी0 श्रीवास्तव (उप-प्राचार्य एवं प्राध्यापक-भूगोल), श्री हुकुम सिंह (प्राध्यापक-अंग्रेजी), श्री जीत नारायण सिंह
(प्राध्यापक-इतिहास ), डॉ0 जगदीश नारायण त्रिपाठी (प्राध्यापक-हिन्दी ), श्री ब्रजेन्द्र प्रताप सिंह (प्राध्यापक-राजनीति
विज्ञान), श्री ब्रह्मानन्द शास्त्री (प्राध्यापक-संस्कृत), श्री ओम प्रकाश गर्ग (प्राध्यापक-समाजशास्त्र), श्री यशकरण सिंह
(प्राध्यापक-वाणिज्य ), श्री दृगपाल सिंह (कार्यालय प्रमुख), श्री जयपाल सिंह (पुस्तकालय प्रमुख), श्री महेन्द्र पाल सिंह
(तृतीय श्रेणी कर्मचारी ) तथा श्री रामबली (चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी ) |
भारतीय सांस्कृतिक आदर्शों की रक्षा करते हुए बिना किसी वर्ण, वर्ग-भेदभाव के शारीरिक, मानसिक और बौद्धिक दृष्टि से समुन्नत नागरिकों का निर्माण कर समस्त जनता में शिक्षा-प्रसार संस्था एवं संस्थापक का उद्देश्य रहा है। ऐसा विश्वास है कि यह संस्था जिन उच्चादर्शों को लेकर निर्मित की गई है, उनके योगक्षेम के लिए इस महाविद्यालय के शिक्षक - शिक्षार्थी इस प्रकार प्रयत्नशील रहेंगे कि न तो उन आदर्शों का मौलिक रूप ही विकृत होने पाये और न वे आदर्श अहर्निश होने वाली बहुमुखी प्रगति में अगतिशील रह सकें ।